नजफगढ़ अग्निकांड: मौसी बचा लो…कंपकंपाती आवाज में लक्ष्य के आखिरी बोल; चार जिंदगियां मदद की आस में हुईं खामोश

नजफगढ़ अग्निकांड: मौसी बचा लो…कंपकंपाती आवाज में लक्ष्य के आखिरी बोल; चार जिंदगियां मदद की आस में हुईं खामोश

मौसी हमें बचा लो, घर में आग लग गई है, कंपकंपाती हुई आवाज में सोमवार देर रात करीब 2.14 बजे लक्ष्य उर्फ कानू ने उत्तम नगर में रहने वाली मौसी मेघा को कॉल की थी। इतना कहकर फोन कट गया। मेघा ने तुरंत मोती नगर में रहने वाले अपने बड़े भाई रजत सूरी को कॉल कर बताया कि लक्ष्य की कॉल आई थी और घर में आग लगने की बात कर रहा था। यह सुनकर रजत घबरा गए। वह करीब 2.30 दूसरे भाई सौरव सूरी को लेकर निकले, लेकिन रास्ते में सुभाष नगर चौक पर उनकी कार पंक्चर हो गई। आधी रात को किसी तरह गाड़ी की स्टपनी बदलवाकर दोनों भाई उत्तम नगर में बहन मेघा के घर पहुंचे। वहां से बहन व जीजा अनिल कुमार को लेकर करीब 3.15 बजे प्रेम नगर पहुंचे। वहां पहुंचने पर देखा तो हीरा सिंह और नीतू के घर से धुआं निकल रहा था। उसी फ्लोर पर मकान के दूसरे हिस्से में रहने वाले हीरा सिंह के भाई गुरमीत और उनका परिवार वहां मौजूद था। रजत के मुताबिक, किसी ने भी परिवार को बचाने की कोशिश नहीं की। उनके सामने ही पीसीआर और दमकल विभाग को कॉल की गई। इस दौरान रजत, सौरव व अनिल ने कूलर हटाया और खिड़की भी उखाड़ी, लेकिन वह अंदर दाखिल नहीं हो पाए। बाद में जब पुलिस व दमकल की गाड़ियां वहां पहुंचीं तो परिजनों की मौजूदगी में लोहे का दरवाजा तोड़ा गया। अंदर घर के बाथरूम में नीतू और उनके दोनों बेटों लक्ष्य और रॉबिन के शव भीगे हुए मिले।
दोनों कमरों के बाहर हीरा सिंह भी अचेत पड़े थे। सभी के शरीर धुएं की वजह से काले पड़े हुए थे। उनको अस्पताल ले जाया गया, जहां चारों को मृत घोषित कर दिया गया। रजत ने आरोप लगाया कि यदि गुरमीत और उनका परिवार समय पर मदद करता तो शायद उनकी बहन व उनका परिवार जिंदा होता। पुलिस ने घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की पड़ताल की। जांच में पता चला कि रात 1.58 बजे ही इन्वर्टर में आग के बाद घर में आग लग चुकी थी। हीरा सिंह और उनका पूरा परिवार एसी चलाकर एक ही कमरे में सो रहा था। धुआं अंदर पहुंचा तो उनकी आंख खुली। चूंकि दरवाजे के पास ही आग थी और वहां पर ताला लगा हुआ था। ऐसे में बचकर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। परिवार ने बचने की खूब कोशिश की। नीतू और दोनों बेटे बाथरूम में मृत मिले। उनके कपड़े भी गीले थे। ऐसा लग रहा था कि उन्होंने बचने के लिए खुद पर पानी डाला था। वहीं हीरा सिंह भी कमरे के बाहर पड़े मिले हैं।

यह है पूरा मामला

दिल्ली के द्वारका जिले के नजफगढ़ स्थित प्रेम नगर के एक मकान में सोमवार देर रात इन्वर्टर में शॉर्ट सर्किट से आग लगने से एक परिवार के चार सदस्यों की दम घुटने से मौत हो गई। मृतकों में दंपती और उनके दो बेटे शामिल हैं। इनकी शिनाख्त हीरा सिंह कक्कड़ (48), पत्नी नीतू सिंह कक्कड़ (46) और दो बेटे चिराग (22) उर्फ रॉबिन सिंह और लक्ष्य उर्फ कानू (21) के रूप में हुई है। रात 12 बजे ही लक्ष्य मोती नगर स्थित अपनी नानी रेनू सूरी के घर से आया था। दरअसल लक्ष्य को मामा रजत के दोनों बच्चों से लगाव था। सोमवार को दोनों अपनी बुआ मेघा के घर गए हुए थे, इसलिए लक्ष्य मामा के यहां नहीं रुका। घर आने के बाद भी मंगलवार को काम के सिलसिले में मामा से फोन पर चैट करता रहा। आखिरी बार उसने 2.04 चैट की। बाद में वह सोने जाने की बात कर चला गया। रजत भी सोने की तैयारी में लगे रहे। इस बीच रात 2.17 बजे रजत के पास मेघा की कॉल आई और हादसे के बारे में बताया। इसके बाद आनन-फानन में परिवार प्रेम नगर पहुंचा। वहां पहुंचने पर पता चला कि हादसे में चारों की जान जा चुकी है।

हीरा के बड़े भाई के परिवार पर सवाल खड़े किए

प्रेम नगर के जिस मकान की पहली मंजिल पर हादसा हुआ, वह दो भागों में बंटा हुआ है। ग्राउंड फ्लोर पर पीछे की ओर से सीढ़ियां हैं। सीढ़ियां चढ़ने पर पहले आधे भाग में हीरा के बड़े भाई गुरमीत सिंह अपनी पत्नी मंजू और दोनों बेटों भुवन और गगन के साथ रहते हैं। उसके आगे आधे भाग में हीरा का परिवार रहता था। परिजनों का आरोप है कि दोनों के बीच प्रॉपर्टी को लेकर भी कुछ विवाद भी था। रजत का आरोप है कि आग लगने पर हीरा और उनके परिवार ने बचने के लिए खूब जद्दोजहद की थी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। यहां तक पुलिस व दमकल विभाग को भी कॉल नहीं की गई। उनका परिवार जब वहां पहुंचा तो कॉल की गई। मेघा और उनकी मां रेनू का रो-रोकर बुरा हाल था। रेनू सूरी न जहां अपनी बेटी, दामाद और नाती खोए थे, वहीं मेघा ने बहन-जीजा और भांजे खो दिए थे। रोते हुए बस वह यही कहे जा रही थी कि पता नहीं हमारे परिवार को किसकी नजर लग गई। 
 

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