तल्खियों के बीच मुइज्जू को याद आई सदियों पुरानी दोस्ती, गणतंत्र दिवस पर दी भारत को बधाई…

तल्खियों के बीच मुइज्जू को याद आई सदियों पुरानी दोस्ती, गणतंत्र दिवस पर दी भारत को बधाई…

बीते कुछ दिनों से चल रहे राजनयिक गतिरोध के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर शुभकामनाएं दीं।

मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत के नाम अपने बधाई संदेश में सदियों पुरानी दोस्ती को याद किया है। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा, “राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बधाई और शुभकामनाएं भेजीं। भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अलग-अलग संदेशों में राष्ट्रपति मुइज्जू ने बधाई और शुभकामनाएं दीं।”

अपने संदेश में राष्ट्रपति मुइज्जू ने आने वाले सालों में भारत सरकार और भारतीयों के लिए निरंतर शांति, प्रगति और समृद्धि की आशा भी व्यक्त की।

मुइज्जू के कार्यालय ने अपने बयान में कहा, “राष्ट्रपति मुइज्जू ने मालदीव की सरकार और लोगों की ओर से भारत की सरकार और भारतीयों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सदियों की दोस्ती, आपसी सम्मान और रिश्तेदारी की गहरी भावना से पोषित करने वाले मालदीव-भारत संबंध को रेखांकित किया।”

पूर्व राष्ट्रपति ने भी दी शुभकामनाएं
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने भी 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत को बधाई दी और दोनों देशों के बीच अटूट बंधन को मजबूती से आगे बढ़ने का आह्वान किया।

सोलिह ने एक्स पर लिखा, “भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के खुशी के अवसर पर मैं राष्ट्रपति मुर्मू प्रधानमंत्री सरकार और भारत के लोगों को शुभकामनाएं देता हूं। मालदीव और भारत के बीच लंबे समय से मौजूद दोस्ती के अटूट बंधन मजबूत हों।”

तल्ख हो चले हैं भारत-मालदीव के रिश्ते
बता दें मौजूदा वक्त में मालदीव और भारत के बीच संबंध तल्ख हो चले हैं। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद भारत को अपने सैनिकों वापस बुलाने का आदेश दे दिया था।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया था, जिसे लेकर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने अपमानजनक टिप्पणियां की थी, जिसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक गतिरोध और बढ़ गया था। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह प्रमुख मालदीव नेताओं में से एक थे जिन्होंने इसका विरोध भी किया था।

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