नौ माह से बर्फ में दबे शहीद का शव निकाला, इधर परिजनों की टूटी उम्मीद की सांसे 

नौ माह से बर्फ में दबे शहीद का शव निकाला, इधर परिजनों की टूटी उम्मीद की सांसे 

किन्नौर। कश्मीर में एवलांच की चपेट में आए भारत के सपूत रोहित नेगी बीते 9 माह से बर्फ की चट्टानों में लापता थे। परिजन लगातार उनकी सलामती की दुआएं कर रहे थे,लेकिन उम्मीद की सांसे उस वक्त टूट गईं जब सेना को रोहित नेगी का शव मिल गया। शहीद रोहित नेगी का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। शहीद रोहित नेगी के पिता अमर सिंह भी भारतीय सेना में रहे हैं। रोहित नेगी अपने पीछे 3 वर्षीय बेटे और 7 वर्षीय बेटी, पत्नी,  बूढ़े मां-बाप तथा एक छोटे भाई को छोड़ गए हैं। शहीद रोहित नेगी के पिता पूर्व सैनिक अमर सिंह को जहां एक ओर बेटे के खोने का गम है तो वहीं दूसरी ओर देश के लिए शहादत पर गर्व महसूस कर रहे हैं। डोगरा रेजीमेंट के कमांडेंट ने भी परिजनों को आर्मी के तरफ से हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के के तराण्डा गांव के हवलदार रोहित नेगी नौ माह पहले कश्मीर में एवलांच की चपेट में आ गए थे। यहां पर उनके एक साथी का शव तो उसी समय मिल गया था, लेकिन रोहित लापता थे। चार दिन पहले ही सेना ने उनका शव बर्फ से नीचे से निकाला।मंगलवार को डोगरा रेजीमेंट के कमांडर और अन्य जवान शहीद रोहित नेगी के पार्थिव शरीर को लेकर घर पहुंचे और यहां पर उनका अंतिम संस्कार किया। प्रशासन की ओर से तहसीलदार भावानगर अरुण सिंह और पुलिस दल भी शामिल हुआ। शहीद की अंतिम यात्रा के दौरान भारी संख्या में ग्रामीणों ने नम आंखों से अपने लाड़ले को विदाई दी। रोहित नेगी अमर रहे के नारे लगाए।26 वर्षीय हवलदार रोहित नेगी डोगरा रेजिमेंट में थे। गत वर्ष अक्तूबर के प्रथम सप्ताह में रोहित नेगी कश्मीर सीमा में सेवाएं देते हुए एक अभियान के दौरान कुछ साथियों सहित हिमखंड में दब गए थे। पूरे नौ माह बाद रोहित नेगी पुत्र अमर सिंह का पार्थिव शरीर भारतीय सेना ने खोजा। रोहित के पार्थिव शरीर को 8 जुलाई को कारगिल से लेह और फिर से लेह से चंडीगढ़ लाया गया। बाद में चंडीगढ़ से सड़क मार्ग से रामपुर लाया गया रोहित नेगी के पार्थिव शरीर को किन्नौर के प्रवेश द्वार चौरा में भारी संख्या में लोगों ने श्रद्धांजलि दी। रोहित के भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। 

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