जख्मी ट्रंप ने भरी हुंकार! बोले- हार नहीं मानूंगा,चुनाव प्रचार जारी रहेगा

जख्मी ट्रंप ने भरी हुंकार! बोले- हार नहीं मानूंगा,चुनाव प्रचार जारी रहेगा

वाशिंगटन। गोली लगने से लहुलुहान हुए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों को हौंसला बढ़ाते हुए कहा है कि मैं खुद को सरेंडर नहीं करुंगा और चुनाव प्रचार लगातार चलता रहेगा। ट्रंप ने अपने समर्थकों को भेजे एक संक्षिप्त ईमेल मैसेज में वादा किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे अपना प्रेसिडेंट कैंपेन जारी रखेंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, मैं कभी भी सरेंडर नहीं करूंगा!डोनाल्ड ट्रंप पर गोलीबारी की इस घटना का वीडियो इंटरनेट पर वायरल है, जिसमें देखा जा सकता है कि वो भाषण दे रहे हैं, तभी गोलियां चलने लगती हैं। डोनाल्ड ट्रंप अपने दाहिने हाथ से कान को ढकते हैं और डायस के पीछे झुक जाते हैं। सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स तुरंत उनके पास पहुंचते हैं। ट्रंप डायस के पीछे से उठते हैं और रैली में आए लोगों की ओर मुट्ठी भींचकर साहस का संदेश देते हैं। उनके दाहिने कान और चेहरे पर खून नजर आ रहा है। इस हमले के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रूथ सोशल पर पहली प्रतिक्रिया दी है। 
यूएस सीक्रेट सर्विस के प्रवक्ता एंथनी गुग्लिल्मी के अनुसार, घटना स्थानीय समय के मुताबिक, शाम करीब 6:15 बजे हुई जब संदिग्ध शूटर ने रैली स्थल के बाहर एक ऊंचे स्थान से मंच की ओर कई गोलियां चलाईं। उन्होंने कहा, यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स ने हमलावर को मार गिराया। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप सुरक्षित हैं। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हैं। घटना की जांच चल रही है और सीक्रेट सर्विस ने एफबीआई को इस बारे में सूचित कर दिया है। यह चौंकाने वाली घटना मिल्वौकी में रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन की शुरुआत से दो दिन पहले हुई, जहां डोनाल्ड ट्रंप औपचारिक रूप से पार्टी के उम्मीदवार बनेंगे। बीवर काउंटी रिपब्लिकन पार्टी के उपाध्यक्ष रिको एल्मोर ट्रंप के सामने विशेष अतिथियों के लिए बने सेक्शन में बैठे थे, तभी उन्हें पटाखों जैसी आवाज सुनाई दी। एल्मोर ने बताया, हर कोई हैरान था और ऐसा लगा कि नहीं कि ये असली गोलियां चली हैं। मैंने चिल्लाकर कहा नीचे उतरो!’ एल्मोर ने बताया कि इसके बाद सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स ने ट्रंप को मंच से उतारा और उन्होंने सुना कि भीड़ में कोई डॉक्टर को बुलाने की आवाज लगा रहा है। एल्मोर को सेना में रहने के दौरान प्राथमिक उपचार और सीपीआर के बारे में जानकारी थी और उन्हें पता था कि कोई डॉक्टर मदद के लिए तुरंत नहीं पहुंच पाएगा। 

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