सुप्रीम कोर्ट को क्रीमी लेयर के फैसले को संसद में लाकर नकार देना चाहिए था – मल्लिकार्जुन खरगे

सुप्रीम कोर्ट को क्रीमी लेयर के फैसले को संसद में लाकर नकार देना चाहिए था – मल्लिकार्जुन खरगे

नई दिल्ली । कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों ने एक फैसला दिया है, जिसमें उन्होंने एससी-एसटी वर्ग के लोगों के सब-कैटेगराइजेशन के साथ ही क्रीमी लेयर की भी बात की है। उन्‍होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि संसद में लाकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को नकार देना चाहिए था। इसे आज 10-15 दिन हो चुके हैं, लेकिन इसके लिए आपके पास वक्त नहीं है। खरगे ने कहा कि भारत में दलित समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण बाबासाहेब के पूना पैक्ट के माध्यम से मिला था। बाद में पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने रिजर्वेशन पॉलिसी को जारी रखा। उन्‍होंने कहा क‍ि राजनीतिक आरक्षण के साथ ही शिक्षा और रोजगार में भी आरक्षण जरूरी मुद्दा था, लेकिन अब एससी-एसटी के लोगों को क्रीमी लेयर का कहकर आरक्षण से बाहर निकालना उनके ऊपर एक बड़ा प्रहार है। 
कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा कि एक तरफ देश में लाखों सरकारी नौकरियां हैं, जिनमें भर्तियां नहीं की जा रही हैं। दूसरी ओर आप क्रीमी लेयर के जरिए दलित समाज को कुचल रहे हैं। मैं इसका विरोध करता हूं। उन्‍होंने कहा कि एससी-एसटी के इस मुद्दे में दलितों-वंचितों के बारे में नहीं सोचा गया। 
उन्‍होंने कहा कि जब तक देश में छुआछूत है, तब तक आरक्षण रहना चाहिए और रहेगा। हम उसके लिए लड़ते रहेंगे। उन्‍होंने अपील करते हुए कहा कि सभी मिलकर इस क्रीमी लेयर के फैसले को मान्यता न दें। उन्‍होंने कहा कि हम दलितों-वंचितों की हिफाजत के लिए जो भी कर सकते हैं, वह करेंगे। 
साथ ही उन्‍होंने कहा कि इस मुद्दे पर राहुल गांधी ने कई बुद्धिजीवियों को बुलाकर चर्चा की है। उन्‍होंने कहा कि इस विषय पर हम कंसल्टेशन कमेटी बनाएंगे, एनजीओ से मिलेंगे, उनकी राय लेंगे और सबको साथ लेकर आगे बढ़ेंगे। 

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