फर्म का 14 लाख का बिल नहीं चुकाया, अब 14 साल बाद सीतामऊ नगर परिषद को चुकाना पड़ेंगे छह करोड़

फर्म का 14 लाख का बिल नहीं चुकाया, अब 14 साल बाद सीतामऊ नगर परिषद को चुकाना पड़ेंगे छह करोड़

मंदसौर ।   मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की सीतामऊ नगर परिषद को सीएमओ की उदासीनता और लापरवाही के कारण 14 लाख का बिल नहीं चुकाने पर अब 6.12 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। नगर परिषद के सीमित वित्तीय संसाधन के कारण यह भुगतान संभव नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते कलेक्टर मंदसौर ने उच्च अधिकारियों से इस मद में राशि आवंटित करने का अनुरोध किया है। हद तो यह है कि इस पूरे मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मामला 14 साल पुराना है। सीतामऊ नगर परिषद ने वर्ष 2010 में मेसर्स शुभम इलेक्ट्रिकल्स से स्ट्रीट लाइट खरीदी थी। इसका 14.44 लाख रुपये का भुगतान नगर परिषद को करना था। लेकिन, सब कुछ नियमानुसार और तय समय में होने के बावजूद परिषद के तत्कालीन सीएमओ ने मेसर्स शुभम इलेक्ट्रिकल्स को समय पर भुगतान नहीं किया। इसके पीछे की वजह अलग-अलग बताई जा रही है। सीएमओ का कुछ निजी स्वार्थ भी इसका कारण बताया गया। सभी संबंधितों से गुहार लगाने के बावजूद समय पर भुगतान नहीं होने पर फर्म ने मप्र सूक्ष्म और लघु उद्यम फेसिलिटेशन काउंसिल भोपाल और मप्र हाईकोर्ट में मामला दायर किया। इस मामले में सुनवाई और अनुबंध शर्तों के आधार पर 12 अगस्त 2013 को काउंसिल ने आदेश पारित किया कि नगर परिषद सीतामऊ को मूल राशि और ब्याज सहित भुगतान करना होगा। हाईकोर्ट ने भी काउंसिल के फैसले पर मुहर लगाई है। इस मामले में काउंसिल ने 2013 में 14 लाख 44 हजार 500 रुपये और 27 मई 2013 तक कुल ब्याज राशि 7 लाख 48 हजार 568 तथा भुगतान दिनांक तक ब्याज अथवा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की अधिसूचित बैंक दर एवं एमएसएमईडी एक्ट की धारा 16 एवं 17 के अनुसार तीन गुना की दर से भुगतान दिनांकित तक की वास्तविक ब्याज राशि 11 लाख 18 हजार 530 रुपये के साथ कुल राशि 33 लाख 11 हजार 568 रुपये देने संबंधी आदेश जारी किए गए थे। इसके बाद भी परिषद में आने वाले दूसरे सीएमओ ने काउंसिल के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की। अब यह राशि मूल राशि में प्रतिदिन ब्याज की राशि जोड़कर 6 करोड़ 12 लाख 17 हजार 601 रुपये तक पहुंच चुकी है। 

शासन ने झाड़ा पल्ला

इस मामले में मंदसौर कलेक्टर ने शासन को पत्र लिखकर उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करने और अवमानना से बचने के लिए राशि आवंटित करने के लिए पत्र लिखा है। इस पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने मना करते हुए परिषद को ही राशि चुकाने के लिए पत्र लिखा है। 

परिषद की वार्षिक आय सिर्फ दो करोड़ 

सीतामऊ नगर परिषद की वार्षिक आय से ही जुर्माना समेत कुल राशि तीन गुना है। कलेक्टर ने शासन को लिखे पत्र में कहा है कि परिषद की सालाना आय दो करोड़ रुपये मात्र है। इससे कर्मचारियों का वेतन और विद्युत देयकों का भुगतान ही बमुश्किल हो पा रहा है। ऐसे में वह उक्त छह करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि का भुगतान कैसे कर पाएगी, इस पर भी सवालिया निशान हैं।    

जिम्मेदारी तय करने की कोई कार्रवाई नहीं 

इस पूरे मामले में शासन से लेकर नगर परिषद तक के जिम्मेदार सवालों के घेरे में आ रहे हैं। 14 साल से ज्यादा समय के बावजूद अब तक परिषद के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करके कार्यवाही करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। वर्तमान पदों पर बैठे अधिकारी भी परिषद को हो रहे आर्थिक नुकसान के जिम्मेदारों को बचाने में जुटे हुए हैं। 

मामले की जानकारी नहीं : कलेक्टर

मंदसौर कलेक्टर अदिति गर्ग से जब इस मामले में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनको अभी मामले की जानकारी नहीं है। वह इस मामले को देखने के बाद कुछ टिप्पणी कर सकेंगी।

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