आपत्तियों में उलझा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे

आपत्तियों में उलझा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे

भोपाल।  सात महीने से उलझी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के टेंडर की प्रक्रिया ने जैसे की रफ्तार पकड़ा वह एक बार फिर आपत्तियों में उलझ गया है। दरअसल, टेंडर की शर्तों को लेकर इच्छुक कंपनियों ने कुछ प्रश्न व आपत्तियां लगाई हैं। अफसरों का कहना है कि यह बड़ा प्रोजेक्ट है और ऐसी आपत्तियों का निराकरण करना जरूरी है। इसलिए एक्सप्रेस वे के टेंडर खोलने की तारीख को बढ़ाया गया है।
गौरतलब है कि ग्वालियर से आगरा के बीच 4263 करोड़ रुपए की लागत से 88.400 किमी लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लेना शुरू कर दिया है। अभी तक कैबिनेट का अप्रूवल न होने के कारण कंपनियों ने टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया था। मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनियों ने इस टेंडर की शर्तों में प्री-बिड के आधार पर प्रश्न या आपत्तियां लगानी शुरू की हैं। इन आपत्तियों के आधार पर नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआई) को शर्तों में मामूली बदलाव के साथ ही निराकरण करना है। ऐसे में 10वीं बार ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के टेंडर खोलने की तारीख को गत बढ़ा दिया गया है। अब इसे 14 अगस्त के बजाय 29 अगस्त को खोला जाएगा।

आपत्तियों का निराकरण करना जरूरी
एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार इतने बड़े प्रोजेक्ट में प्री-बिड के आधार पर आने वाली आपत्तियों का निराकरण करना जरूरी होता है। संभवत: यह आखिरी बार तारीख बढ़ाई गई है। इसके बाद ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तब तक ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का एनएच नंबर भी जारी हो जाएगा, जिससे शासन स्तर पर भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। बिना एनएच नंबर जारी हुए भू-अधिग्रहण की विभागीय फाइल तैयार नहीं हो सकेगी और मुआवजे के वितरण में भी दिक्कतें रहेंगी। वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए 90 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण होने के बाद ही चयनित होने वाली कंपनी मौके पर काम की शुरूआत कर सकेगी।

टल रही है वर्तमान हाईवे की मरम्मत
सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के टेंडर खुलने की तारीख बार-बार बढ़ाने से वर्तमान फोरलेन हाईवे की मरम्मत का काम भी बार-बार आगे बढ़ रहा है। दरअसल, पहले एनएचएआइ ने एक्सप्रेस वे निर्माण और वर्तमान ग्वालियर-आगरा फोरलेन हाईवे की मरम्मत के अलग-अलग टेंडर किए थे। बाद में इन दोनों प्रोजेक्ट को आपस में जोड़ दिया गया। इसका नतीजा यह है कि वर्तमान हाईवे की मरम्मत अब तभी हो सकेगी, जब एक्सप्रेस वे निर्माण की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसका नतीजा यह है कि वर्तमान हाइवे पर वाहन चालकों को परेशानी भरा सफर करना पड़ रहा है। हालांकि टेंडर होने के बाद कंपनी को पहले मरम्मत का काम शुरू करने के लिए कहा जाएगा।

स्वतंत्र इंजीनियरिंग कंपनी की होगी नियुक्ति
इस काम के लिए एनएचएआइ द्वारा इंडीपेंडेंट इंजीनियरिंग यानी स्वतंत्र इंजीनियरिंग कंपनी को भी नियुक्त किया जाएगा। ये कंपनी सलाहकार के तौर पर ड्राइंग-डिजाइन आदि पर काम करेगी और तकनीकी तौर पर इस प्रोजेक्ट की पूरी निगरानी करेगी। इसके लिए गत 20 फरवरी को टेंडर किया गया था। इसकी तारीख अब 23 अगस्त कर दी गई है। एनएचएआइ के अधिकारियों के अनुसार इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए जरूरी सभी कार्यों की प्रक्रिया आसपास ही चल रही है और जल्द ही इसे पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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