इस शिवलिंग को पत्थर समझकर हटाने लगे थे राजा, तो बहने लगी थी खून की धारा, मन्नत मांगने के लिए लगती है भीड़

इस शिवलिंग को पत्थर समझकर हटाने लगे थे राजा, तो बहने लगी थी खून की धारा, मन्नत मांगने के लिए लगती है भीड़

भगवान शिव के कई सारे खास मंदिर यूपी में हैं. इन्ही में से एक है बलखंडीनाथ मंदिर, जिसकी मान्यता यह है कि यहां आने वाले भक्तों की सारी मनोकामना भगवान शिव अवश्य पूरी करते हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक जल एवं पंचामृत से करने से सारी मन्नत पूरी हो जाती है. सावन के महीने में भी इस मंदिर में भारी भीड़ लगती है. दूर-दूर से भक्त सावन में कावड़ लेकर इस मंदिर में आते हैं.

बालखंडी नाथ मंदिर का इतिहास
बालखंडी नाथ मंदिर का इतिहास यह है कि यहां पर द्रौपदी ने शिवलिंग की पूजा कर मन्नत मांगी थी. जिस पर भगवान शिव ने उसकी मनोकामना पूरी की थी. यह शिवलिंग खुद से ही प्रकट हुआ था. तब बरेली का कोई राजा हुआ करता था. जिसका रथ शिवलिंग से टकरा गया था. तभी जब उन्होंने अपने साथी से पूछा कि यह क्या पड़ा है, तो पता चला कि वह स्वयं प्रकट हुआ शिवलिंग है.

लेकिन राजा ने इसे एक पत्थर समझ के हटाया और पत्थर को हटाने के लिए राजा ने अपने आदमी भेजें. उनसे नहीं हटा तो अपने हाथी भेजें और फिर उसे खींचा गया. लेकिन जब भी शिवलिंग नहीं खींचा. पर उसमें से जब खून निकलने लग गया, खून की धारा बहने लगी तब राजा को पता चला कि यह स्वयं शिव जी का शिवलिंग है. फिर उन्होंने शिव जी के नाम पर यहां एक मंदिर बनवाया.

पूरे दिन होता है इस मंदिर में अभिषेक
बालखंडी नाथ मंदिर के महंत जी ने लोकल 18 से बात के दौरान बताया कि सावन के महीने में जब कावड़ यात्रा यहां आती है. तो सुबह 3:00 बजे से लेकर शाम के 10:00 बजे तक यहां कावड़ियों की भीड़ लगी रहती है. उसे वीर के कारण उन्हें शाम के समय की आरती में तकलीफ होती है. लेकिन सुबह के समय आप आराम से आरती कर सकते हैं. पूरे दिन इस मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक होता है.

यहां आए भक्तों का क्या है कहना
बनखंडी नाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने आए भक्तों ने हमें एक खास बातचीत के दौरान बताया कि वह यहां काफी समय से भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं.  हर सावन लेकर बरखंडी नाथ मंदिर भगवान शिव को जल चढ़ाने आते हैं. इसके अलावा भी बताते हैं कि स्वयं प्रकट हुए शिवलिंग के रूप में भगवान शिव जी के दर्शन करने पर काफी दूर दराज से आते हैं.

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