पटवारी का भविष्य उपचुनाव पर टिका

पटवारी का भविष्य उपचुनाव पर टिका

भोपाल । छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में मिली मामूली वोटो से हार के बाद कांग्रेस बुधनी और विजयपुर उपचुनाव से पहले से तैयारियां तेज कर दी हैं। मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी खुद बुधनी विधानसभा में कई बैठकें कर चुके हैं। पटवारी बूथ मैनेजमेंट पर विशेष फोकस कर रहे हैं। दोनों ही विधानसभाओं के बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी विधायकों को देंगी। पटवारी जिस तरह से चुनावी तैयारियों में जुटे हैं उससे साफ दिख रहा है की उनका भविष्य उपचुनाव पर टिका है। अगर कांग्रेस विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में हारती है तो जीतू पटवारी की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बने जीतू पटवारी लोकसभा चुनाव की अपनी पहली परीक्षा में बुरी तरह असफल हो चुके हैं। उनकी दूसरी परीक्षा प्रदेश में विजयपुर और बुधनी लोकसभा सीट पर उप चुनाव को लेकर है। उप चुनाव में कांग्रेस अगर एक भी सीट बचाने में सफल रही तो पटवारी को अभयदान मिल सकता है, अन्यथा पार्टी का प्रदेश नेतृत्व उनके प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर विचार कर सकता है। ज्ञात हो कि मप्र के श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक रहे रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने उन्हें मप्र का वन एवं पर्यावरण मंत्री बनाया है। कांग्रेस छोडक़र भाजपा से चुनाव लड़ रहे रामनिवास रावत को टक्कर देने के लिए कांग्रेस चुनावी तैयारियों के साथ-साथ प्रत्याशी चयन के लिए भी विशेष रणनीति बना रही है। चूंकि पूर्व विधायक बाबूलाल मेवरा भी 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसलिए कांग्रेस के पास इस सीट पर रामनिवास को हराने लायक दूसरा नेता नजर नहीं आ रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस की नजर 2018 के विधानसभा चुनाव में रावत को पराजित करने वाले पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी पर है। हालांकि कांग्रेस के इस तरह के प्रयासों की भनक लगते ही भाजपा का संगठन पूरी तरह सक्रिय और सजग है।
उपचुनाव में भाजपा ने रामनिवास रावत को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी की तलाश कर रही है। विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र एवं पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को चुनाव प्रभारी बनाया है। जयवर्धन सिंह ने ग्वालियर-चम्बल के सभी कांग्रेस विधायकों, पूर्व विधायकों तथा जिला एवं ब्लॉक प्रभारियों को 10-10 बूथों को जिम्मेदारी भी सौंपी है। हर बूथ पर 15-20 कार्यकर्ता विशेष रूप से तैयार करने की भी योजना है। कांग्रेस अपने बागी विधायक को सत्तापक्ष के प्रत्याशी के रूप में पराजित करने के लिए हर तरह से घेराबंदी करने में जुटी है। प्रयास जातिगत आधार पर क्षेत्रवार जिम्मेदारियां सौंपकर भी की जा रही हैं, जनजातीय के स्थान पर ओबीसी को वन विभाग की जिम्मेदारी के नाम पर बहकाने का प्रयास भी जारी है और रावत को पावर दिए जाने पर भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को बरगलाने का प्रयास भी जारी है। ऐसी स्थिति में भाजपा और स्वयं रामनिवास रावत के लिए भी विजयपुर सीट चुनौती से कम नहीं होगी। बुधनी विधानसभा सीट पर उप चुनाद में कांग्रेस स्थानीय और मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है। कांग्रेस अब तक इस सीट से बाहर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारती रही है। कांग्रेस इस बार प्रत्याशी भी स्थानीय देगी और मुद्दे भी स्थानीय ही उठाएगी। हालांकि कांग्रेस के संभावित चहरे भी अब तक साफ नहीं हो सके हैं।
श्योपुर जिले में विजयपुर विधानसभा में होने वाला उपचुनाव बेहद रोचक होने की संभावना है। यहां से वर्ष 2023 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने रामनिवास रावत के त्यागपत्र देने और भाजपा में शामिल के कारण उपचुनाव हो रहा है। रावत को भाजपा ने मोहन कैबिनेट में मंत्री भी बनाया है। रावत ही उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी होंगे। यही वजह है कि कांग्रेस यहां आदिवासी प्रत्याशी देना चाहती है ताकि आदिवासी बहुल वोटों का उसे लाभ मिल सके। सीताराम ने ही वर्ष 2018 में भाजपा की टिकट पर रामनिवास रावत को हराया था लेकिन भाजपा ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में सीताराम आदिवासी की टिकट काटकर बाबूलाल मेवरा को दे दी थी। कांग्रेस एक अन्य आदिवासी प्रत्याशी के नाम पर भी विचार कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में विजयपुर से निर्दलीय प्रत्याशी रहे मुकेश मलहोत्रा ने 44,128 वोट लिए थे। कांग्रेस का गणित आदिवासी वोटों को एकजुट रखकर भाजपा को मात देना है। रामनिवास रावत से पहले कांग्रेस छोडक़र आए कमलेश शाह को भी अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने चुनाव लड़ाया था। हालांकि इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रावत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यहां भाजपा के दो-दो पूर्व विधायक हैं। दोनों ने ही चुनाव लडऩे की इच्छा से पार्टी को अवगत करा दिया है। सीताराम आदिवासी के बगावती सूरों से भाजपा वाकिफ भी है। वहीं बाबूलाल मेवरा भी रावत की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो उपचुनाव में भाजपा की मुश्किलें और भी बढ़ जाएंगी।
शिवराज की पसंद का प्रत्याशी
पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के लोकसभा चुनाव जीतने से खाली हुई बुधनी विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव होने हैं। विगत चार विधानसभा चुनाव से चौहान ही इस सीट से प्रत्याशी बने और जीते, लेकिन इस बार भाजपा को नए प्रत्याशी की तलाश है। कई स्थानीय नेता दावेदारी भी कर रहे हैं। हालाकि माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री चौहान जिस नाम पर सहमति देंगे, वही भाजपा का प्रत्याशी होगा। बुधनी से भाजपा के दावेदारों में पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है। इनके अलावा राजेंद सिंह राजपूत, रघुनाथ सिंह भाटी, केंद्रीय मंत्री चौहान के पुत्र कार्तिकेय चौहान, निर्मला बरेला सहित अन्य कई नामों की चर्चा है। कार्तिकय चौहान को छोडकर शेष सभी नेता पार्टी में प्रमुख पदों पर रहे है। राजेंद्र राजपूत पूर्व विधायक है, जिन्होंने शिवराज सिंह चौहान के लिए अपनी कुर्सी छोड़ी थी, जबकि विदिशा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को लोकसभा का टिकट नहीं मिलने पर अब विधानसभा का टिकट दिए जाने की चर्चा है। भाजपा से टिकट किसी को भी मिले, लेकिन भाजपा के इस अभेद्य किले को जीतना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है।

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