छत्तीसगढ़-रायपुर में पेपर मिल की रद्दी में मिली स्कूली किताबें, जांच टीम गठित

छत्तीसगढ़-रायपुर में पेपर मिल की रद्दी में मिली स्कूली किताबें, जांच टीम गठित

रायपुर.

रायपुर के रियल बोर्ड पेपर मिल सिलियारी के एक गोदाम में भारी मात्रा में स्कूली किताबों का जखीरा रद्दी में मिला है। बताया जाता है कि ये किताबें रद्दी में बेची गयी हैं। लाखों की किताबें कबाड़ में फेंकी गई हैं। ये वही किताबें हैं जो सरकारी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त में बांटने के लिए छपवाई गई थीं। राज्य सरकार ने इस मामले में पांच सदस्यीय जांच टीम बनाई है।

कांग्रेस के पूर्व सचिव और रायपुर पश्चिम विधानसभा के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने पत्रकारवार्ता में आरोप लगाते हुए कहा कि मामले में राज्य सरकार की घोर लापरवाही है। भ्रष्टाचार करने स्कूली किताबों को रद्दी में बेची गयी है। सरकार ने किताबें छपवाई, लेकिन उन्हें छात्रों तक पहुंचाने के बजाय कबाड़ में बेच दिया। यह शिक्षा और बच्चों के भविष्य के साथ भारी भ्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है। यह किताबें सर्व शिक्षा अभियान और छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की ओर से प्रकाशित की गई थीं, जो छात्रों को फ्री में दी जानी थीं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में एक बड़े भ्रष्टाचार की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। एक ओर पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को किताबों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर बिना बांटे किताबों को रद्दी में किलो के भाव बेचे जाने का यह मामला बताता है कि किताबें छापने और बांटने का भ्रष्टाचार का खेल कैसा चल रहा है।  किताबें जितनी मात्रा में छपनी चाहिए थी उससे कहीं ज्यादा मात्रा में छापा गया और फिर एजेंसी की ओर से छापने की राशि सरकार से ले ली गई, फिर उन्हीं किताबों को रद्दी में बेच दिया जाता है। सीधे-सीधे करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार किया गया है। उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान सरकार ने इस पूरे प्रकरण के खानापूर्ति के लिए पांच सदस्यीय जांच दल बनाया है। इसमें दो लोग पूर्व से ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। जांच दल की बजाय सीबीआई जांच या फिर रिटायर्ड जज की अगुवाई में मामले की जांच की जाये। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस बड़ा आंदोलन करेगी। बड़ा सवाल है कि  “कबाड़ में फेंकी जा रही इन किताबों का जिम्मेदार कौन है?“ यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है। कांग्रेस ने इस प्रकरण को सदन में उठाए जाने की बात कहते हुए बच्चों के भविष्य को कबाड़ में डालने वाली सरकार से श्वेत पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट करने की भी मांग की है। प्रेसवार्ता में प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, पूर्व सांसद छाया वर्मा, पूर्व विधायक अनिता शर्मा, ग्रामीण जिलाध्यक्ष उधोराम वर्मा मौजूद रहे।

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