समुद्र में कार्बन कैसे जमा करवाएगा जर्मनी…

समुद्र में कार्बन कैसे जमा करवाएगा जर्मनी…

जर्मन सरकार कुछ उद्योगों को कार्बन कैप्चर कर उसे समुद्र तल के नीचे जमा करने की अनुमति देने की तैयारी कर रही है.

इससे जर्मनी को साल 2045 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.जर्मनी कुछ उद्योगों में कार्बन कैप्चर करने और उसे समुद्र तल के नीचे इकट्ठा करने की तकनीक को अनुमति देने की योजना बना रहा है.

जर्मनी के आर्थिक मामलों के मंत्री रोबर्ट हाबेक ने यह जानकारी दी. कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (सीसीएस), कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में एक तकनीक है. इसमें पहले तो औद्योगिक गतिविधियों से निकले सीओटू को कैप्चर किया जाता है.

फिर इसे निर्धारित जगह पर ले जाकर जमीन के भीतर इसका भंडारण किया जाता है. स्टील और सीमेंट जैसे उद्योगों में बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन होता है. बिजली उत्पादन में कोयला जैसे जीवाश्म ईंधनों को जलाने से भी बड़ी मात्रा में कार्बन निकलता है.

ये गतिविधियां ग्लोबल वॉर्मिंग में बड़ी भूमिका निभा रही हैं. जानकार रेखांकित करते हैं कि पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें ना केवल उत्सर्जन घटाने की जरूरत है, बल्कि वातावरण में मौजूद कार्बन को हटाने की तकनीकों पर भी काम करना होगा.

जर्मनी की योजना क्या है? हाबेक ने जर्मन सरकार की कार्बन प्रबंधन रणनीति पर एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि यह तकनीक सुरक्षित है.

जर्मनी साल 2045 तक कार्बन न्यूट्रल बनना चाहता है. वर्तमान में यह सीओटू उत्सजर्न के मामले में यूरोप में सबसे ऊपर है. हाबेक, जर्मनी की जलवायु परिवर्तन नीति के लिए भी जिम्मेदार हैं.

उन्होंने बताया कि सीमेंट उत्पादन जैसे कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को कार्बन कैप्चर तकनीक का इस्तेमाल करने की जरूरत होगी. इससे जर्मनी अपने जलवायु लक्ष्यों तक पहुंच सकेगा.

हाबेक के मुताबिक, जमीन के ऊपर सीओटू को इकट्ठा करना प्रतिबंधित रहेगा.

2012 में पास हुए एक कानून ने जर्मनी के राज्यों को कार्बन कैप्चर तकनीक के इस्तेमाल पर वीटो लगाने का अधिकार दिया था.

अब रोबर्ट हाबेक ने कहा है कि इस कानून में भी बदलाव की जरूरत है, ताकि औद्योगिक प्रक्रियाओं से हासिल किए गए सीओटू के परिवहन की अनुमति दी जा सके.

उन्होंने कहा कि जरूरी बदलावों पर आने वाले महीनों में चर्चा जारी रहेगी. जर्मनी कार्बन को कैप्चर कर उसे इस्तेमाल करने वाली तकनीक को भी प्रयोग में लाएगा.

इस तकनीक में कैप्चर किए गए सीओटू को जमीन के नीचे इकट्ठा करने की जगह इसका इस्तेमाल दूसरे उत्पादों में किया जाएगा.

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