खाद्य सुरक्षा विभाग की ताबड़तोड़ छापेमारी, सुधा डेयरी पर भी की जांच 

खाद्य सुरक्षा विभाग की ताबड़तोड़ छापेमारी, सुधा डेयरी पर भी की जांच 

खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित अधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जुझार माझी की उपस्थिति में जिला स्तरीय खाद्य सुरक्षा जांच दल के द्वारा आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र स्थित खाद्य निर्माता कंपनियों में छापेमारी की गई एवं उनके द्वारा निर्मित खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता का भौतिक जांच किया गया।

दूध निर्माण के पश्चात काफी लगभग 400 किलोमीटर से दूध काआयात होता है जिसके कारण शीतश्रृंखला प्रबंधन आदि प्रभावित होने के मद्देनजर डॉ. जुझार माझी ने दूध का पुनः गुणवत्ता जांच के साथ-साथ रैंडमली माइक्रोबायोलॉजिकल टेस्ट भी करवाने का निर्देश दिया गया ताकि उच्च गुणवत्तायुक्त दूध ग्राहकों को आपूर्ति हो सके।

सुधा डेयरी के प्रबंधक की उपस्थिति में कर्मचारियों से पूछताछ

टीम ने सुधा डेयरी के प्रबंधक की उपस्थिति में प्लांट के सभी विभाग में जाकर कार्यरत कर्मचारियों से पूछताछ करते हुए विभिन्न बिंदुओं पर जांच की गई। सुधा दूध का उत्पादन बिहार स्थित सुधा डेयरी फार्म में किया जाता है एवं समुचित गुणवत्ता का लेबोरेटरी जांच भी उत्पादन के दौरान वहीं पर होता है इसके पश्चात पाश्चुरीकृत दूध को आदित्यपुर स्थित सुधा डायरी कंपनी में आयात किया जाता है, जहां इसका रिपैकेजिंग होने के पश्चात ग्राहकों को उपलब्ध कराया जाता है।

कार्यरत कर्मियों को फर्स्ट- एड एवं फूड हेंडलर को को फोसटेच प्रशिक्षण स्वास्थ्य विभाग द्वारा शीघ्र उपलब्ध कराये जाने की बात दल द्वारा कही गई। सुधा डायरी के बाद शीतल पेय निर्माता पेप्सी एवं लाल्स,आचार निर्माता फैक्ट्री में छापामारी दल के द्वारा निरीक्षण किया गया।

कर्मचारियों के मेडिकल जांच पर सवाल

जांच दल के अधिकारी ने बताया कि क्षेत्र के खाद्य निर्माता कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों का नियमित मेडिकल जांच का मामला उभर कर सामने आया है, जो कि गम्भीर विषय है, प्रायः देखने में मिल रहा है कि विभिन्न कंपनी प्रबंधनों के द्वारा अपने कर्मचारियों का नियमित मेडिकल जांच नहीं कराया जा रहा है ,अगर कहीं जांच हुआ भी है तो कोई ऑथेंटिक डॉक्टर से जांच नहीं कराया गया।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधान के अनुसार कोई भी चिकित्सक खाद्य संस्थानों में कार्यरत कर्मियों का मेडिकल जांच नहीं कर सकता है ,इसके लिए चिकित्सक को पहले संबंधित विभाग से उचित प्रशिक्षण लेना पड़ता है जिसके बाद क्षेत्र के अभिहित अधिकारी सह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा उन्हें मेडिकल जांच हेतु अधिकृत करते हैं तदोपरांत अधिकृत चिकित्सक द्वारा ही खाद्य संस्थानों के कर्मचारियों का मेडिकल जांच करने का प्रावधान है।

उक्त बिंदुओं का अनुपालन अधिकतर खाद्य संस्थाओं के द्वारा नहीं करने का मामला उजागर हुआ है जिस पर सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है। डॉ. जुझार माझी ने बताया कि प्रथम चरण में सभी खाद्य संस्थाओं के प्रबंधनो को एफएसएसआई अधिनियम के प्रावधानों में निहित बिंदुओं से अवगत कराया जा रहा है। अनुपालन नहीं करने की स्थिति में दण्डात्मक कार्रवाई की जाएगी।

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