अनोखा है देवघर का ये देवी मंदिर, मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त चढ़ाते हैं इस बड़े जानवर की बली

अनोखा है देवघर का ये देवी मंदिर, मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त चढ़ाते हैं इस बड़े जानवर की बली

देवघर देवो की नगरी कहा जाता है. यहां के कण कण में भगवान शिव वास करते हैं. वहीं माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव से पहले शक्ति का वास हुआ था. इसलिए जिस तरह से भगवान शिव की पूजा धूमधाम से की जाती है.इस तरह नवरात्रि के दिनों में देवघर जिले में मां दुर्गा की भी पूजा धूमधाम से की जाती है.

देवघर ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है. यहां कई ऐसे दुर्गा मंदिर है जो ऐतिहासिक होने के साथ-साथ धार्मिक रूप से काफी शुभ भी माना जाता है. उन्हीं में से एक देवघर जिले के साथ प्रखंड के कुकराहा दुर्गा मंदिर. इस मंदिर मे करीब 500वर्षो से भी ज्यादा मां दुर्गा की पूजा चलती आ रही है.

क्या है मान्यता इस दुर्गा मंदिर का
मंदिर के पुजारी भगवान तिवारी ने लोकल18 से कहा की यहां पर करीब 500वर्ष से माता दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है. इस मंदिर माता दुर्गा की मूर्ति नही बनाई जाती है बल्कि माता विंध्याचल के स्वरुप को पूजा जाता है. क्योंकि माता विंध्याचल खुद यहां पर वास की है. इसके पीछे रोचक कहानी है. पंडीत जी बताते है कि जब गांव के एक व्यक्ति नदी किनारे अपने खेत मे काम कर रहा था तभी एक कुंवारी कन्या ने वस्त्र की मांग की और अपने गाँव ले जाने की बात कही. व्यक्ति ने कुंवारी कन्या को वस्त्र देकर दौर कर गांव गया और लोगों को बात सुनाई जब सभी गांव वाले वापस उस जगह पर कुंवारी कन्या को देखने पहुंचे वह गायब थी. उसी रात व्यक्ति के स्वप्न मे मे वह कुंवारी कन्या आयी और बोली मे माता विंध्याचल हूं. गांव में वास करना चाहती हूं. तभी से पूजा आरम्भ हो गयी.सालों भर विशेष कर नवरात्री मे राज्य के कई जगहों से दुमका, गोड्डा, धनबाद, रांची के साथ आस परोस के राज्य जैसे बिहार, बंगाल उत्तरप्रदेश के लोग भी पहुंचते है.

देर रात आती है घुंगरू की आवाज़
मंदिर के पुजारी और ग्रामीणों का कहना है कि कुकराहा के इस दुर्गा मंदिर मे कभी कभी देर रात्रि घुंगरू की मद्धिम स्वर सुनाई पड़ता है. मानो ऐसा जैसे एक साथ कई स्त्रियां नृत्य कर रही हो. मान्यता है कभी भी कोई भी भक्त यहां से निराश होकर नही लौटा है. इस मंदिर मे मांगी कई मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.

इस मंदिर मे हर रोज किया जाता है कुंवारी कन्या पूजन
मंदिर जानकार बताते है कि नवरात्री प्रारम्भ होते ही यहां हर रोज गेरूवा वस्त्रधारी, साधुसंत का जमघट लगा रहता है. इसके साथ ही इस मंदिर मे हर रोज कुंवारी कन्या को भोजन कराया जाता है.

मनोकामना पूर्ण होने पर दी जाती है भैसों की बली
मंदिर के पुजारी भगवान तिवारी बताते है कि इस मंदिर के दर मे जिसने भी अपनी मनोकामना लिए माथा टेका है. उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण हुई है. कई लोग मनोकामना पूर्ण होने पर भैंस की बली चढ़ाते है. इसलिए कुकराहा के इस दुर्गा मंदिर मे नवरात्री मे पहले 2000से भी ज्यादा बकरे की बली दी जाती है. उसके बाद भैसों की बली दी जाती है. यह दुर्गा मंदिर एक नही बल्कि 20 से भी ज्यादा गांव की कुलदेवी है.

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