प्रदेश के बड़े शहरों से बाहर किया जाएगा बाहरी परिवहन

प्रदेश के बड़े शहरों से बाहर किया जाएगा बाहरी परिवहन

भोपाल । प्रदेश के बड़े शहरों को भारी और बाहरी वाहनों की रेलमपेल से मुक्ति दिलाने के लिए अब बायपास और रिंग रोड बनाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इससे शहरों में न केवल दुर्घटनाएं कम होंगी, बल्कि आम लोगों को हर दिन लगने वाले जाम से भी मुक्ति मिल सकेगी। इसके लिए प्रदेश के आधा दर्जन शहरों को चयन किया गया है। इनका निर्माण केन्द्र सरकार की मदद से किया जाएगा। इसके लिए केन्द्र द्वारा तैयार की गई योजनाओं में राज्यों की राजधानियों के अलावा दस लाख से अधिक की आबादी वाले शहरों को शामिल किया गया है। जिसमें मप्र के चारों महानगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर के अलावा उज्जैन और सागर को स्थान मिलना तय है। यह कवायद जाम की समस्या के स्थायी समाधान के लिए की जा रही है। इसके तहत रिंग रोड, बाईपास समेत अन्य उपाय करने की योजना बनाई  गई है। शहरी परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस योजना में राज्यों की भी भूमिका अहम होगी। उन्हें भूमि अधिग्रहण की लागत वहन करने के साथ ही कुछ और कदम उठाने होंगे। इसके बाद मंत्रालय कॉरिडोर आधारित सडक़ निर्माण की दिशा में आगे बढ़ेगा।

भीड़भाड़ वाले शहरों को प्राथमिकता
अधिकारी ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने रायल्टी छोडऩे के साथ ही जीएसटी की क्षतिपूर्ति जैसे कदमों के प्रति सहमति जताई है और उनके सकारात्मक रुख के बाद मंत्रालय ने अपना प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेज दिया है। योजना के तहत शहरों में काम प्राथमिकता के आधार पर होगा यानी जहां जितनी अधिक भीड़भाड़ है, वहां काम पहले होगा।

तीन शहरों की सडक़ों के लिए मांगे 30 अरब
चार साल बाद होने वाले सिंहस्थ के लिए प्रदेश सरकार अधोसरंचना विकास पर सर्वाधिक ध्यान दे रही है। सरकार ने उज्जैन के लिए 11 सडक़ें केंद्र सरकार से मांगी है। इनमें अधिकतर प्रस्ताव शहर की वर्तमान सडक़ को फोरलेन करने और फ्लाईओवर बनाने के हैं। वहीं, भोपाल के लिए छह और जबलपुर के लिए दो मार्ग प्रस्तावित किए गए हैं। इनकी लागत लगभग तीस अरब है। लोक निर्माण विभाग ने वर्ष 2024-25 में केंद्रीय सडक़ निधि से कराए जाने वाले कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित की है। इसमें सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए अधिक कार्य प्रस्तावित किए गए हैं। दरअसल, महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या काफी बढ़ गई है। सिंहस्थ में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। इसे देखते हुए सडक़, पुल और फ्लाईओवर प्रस्तावित किए गए हैं। इसी तरह भोपाल में भी मार्गों का चौड़ीकरण करने और जबलपुर में फ्लाईओवर बनाने की मांग की गई है। यदि इन्हें स्वीकृति मिल जाती है तो 2028 तक ये काम पूरे हो जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इसके पहले लगभग बीस हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली सडक़ परियोजनाओं को केंद्र सरकार स्वीकृति दे चुकी है।

पहले चरण में 30 शहरों का चयन
पहले चरण में तीस शहरों को लिया जा सकता है। शहरों में जाम की समस्या से मुक्ति के लिए रिंग रोड की जरूरत है या बाईपास की, इसका आंकलन राज्यों को ही करना है। एक अधिकारी ने बताया कि  बहुत से शहरों के पास से एनएच और एक्सप्रेस-वे निकले हैं और उन तक पहुंच सुविधाजनक है। इसके कारण भी मौजूदा सडक़ों पर दबाव पड़ रहा है। इसलिए मंत्रालय इन 94 शहरों में इस कमी को भी दूर करने जा रहा है। इस योजना के तहत पायलट परियोजनाएं इसी साल शुरू होंगी, लेकिन इसके पहले वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस नीति में परिवहन के माध्यमों का एकत्रीकरण भी शामिल है।

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