वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट पेश किया जाएगा, उसमें मप्र को कई सौगातें मिलने की उम्मीद

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट पेश किया जाएगा, उसमें मप्र को कई सौगातें मिलने की उम्मीद

भोपाल। संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जो बजट पेश किया जाएगा, उसमें मप्र को कई सौगातें मिलने की उम्मीद है। वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय बजट में जो प्रावधान किए जा रहे हैं उससे मप्र में विकास का गति मिलेगी। जानकारी के अनुसार केंद्रीय बजट में किसान सम्मान निधि की राशि को बढ़ाने का ऐलान हो सकता है। ऐसा हुआ तो मप्र के 80 लाख किसानों को दूसरे राज्यों के किसानों की तुलना में ज्यादा फायदा होगा। मप्र के किसानों को इस योजना में सालाना 18 हजार रु. मिलेंगे। इसके अलावा केंद्रीय बजट में मप्र की सडक़ों व पुलों के निर्माण के लिए करीब 2800 करोड़ रु. अतिरिक्त मिलेंगे। इसमें से सबसे ज्यादा 1100 करोड़ रु. जबलपुर में खर्च होंगे। वहीं पीएम आवास योजना 2.0 के तहत मप्र में 2 लाख 77 हजार मकान बनने वाले हैं।

मप्र को अगले वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार से डेढ़ लाख करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। दरअसल,केंद्रीय करों के हिस्से में मौजूदा वित्तीय वर्ष में 95,753 करोड़ और सहायता अनुदान में 44,891 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान केंद्र सरकार ने किया है। जिस तरह से प्रदेश में अधोसंरचना विकास के साथ केंद्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है, उसके आधार पर वित्त विभाग का अनुमान है कि आगामी वित्तीय वर्ष में मध्य प्रदेश को अधिक राशि मिल सकती है। इसके लिए बजट मीटिंग में केंद्रीय करों में हिस्सा 41 प्रतिशत से बढ़ाने की मांग रखी गई है और इसके पक्ष में तमाम तथ्य भी प्रस्तुत किए गए हैं।

प्रदेश को करों से मिलेंगे एक लाख करोड़ से ज्यादा

मप्र को केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से के रूप में मिलने वाली राशि की घोषणा है। इस बार केंद्रीय बजट में मप्र को केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से के रूप में एक लाख करोड़ से ज्यादा राशि मिलने की उम्मीद है। इसका कारण केंद्र के टैक्स कलेक्शन में वृद्धि होना है। केंद्रीय बजट में केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में मिलने वाली राशि के आधार पर ही वित्त विभाग बजट को अंतिम रूप देगा। दरअसल केंद्रीय बजट में हर साल प्रत्येक राज्य को केंद्रीय करों के राज्य के हिस्से के रूप में निश्चित राशि प्रदान की जाती है। राज्य को यह राशि उसकी आबादी, आबादी के धनत्व, राज्य के क्षेत्रफल, अजा अजजा जनसंख्या, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद, इकोनॉमिक परफॉरमेंस आदि के आधार पर तय की जाती है। केंद्र के पास जितना ज्यादा टैक्स कलेक्शन होगा, राज्यों को केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में उतनी ज्यादा राशि प्राप्त होगी। केंद्र को प्राप्त कुल टैक्स में मप्र का शेयर 7.85 प्रतिशत है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में मप्र को केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से के रूप में 97 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि मिली थी। इसमें से अब तक मप्र सरकार को करीब 80 हजार करोड़ रुपए केंद्र से प्राप्त हो चुके हैं। मप्र के केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से के करीब 17 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं, जो उसे आने वाले दो महीनों (फरवरी-मार्च) में दिए जाएंगे। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी राज्य के लिए केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में प्राप्त राशि बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसी के आधार पर राज्य सरकारें बजट फायनल करती हैं। यह राशि कम या ज्यादा होने का सीधा असर प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर पड़ता है। पिछले केंद्रीय बजट में केंद्रीय करों के हिस्से के रूप में मप्र को आवंटित राशि उसे एक साल में 14 समान किस्तों में दी जा रही है। केंद्र द्वारा मप्र को हर महीने करीब 7 हजार करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। यह राशि प्रदेश को हर महीने की 10 तारीख को मिलती है। गत अक्टूबर में प्रदेश को 7-7 हजार करोड़ की दो किस्तें एक साथ दी गई थीं।

सीआरआईएफ से मिलेंगे 2800 करोड़

लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने सेंट्रल रोड एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (सीआरआईएफ) से सडक़ व पुल बनाने के लिए 2,787.71 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए हैं। इस राशि का प्रावधान केंद्रीय बजट में किया जा रहा है। इस बजट से भोपाल, जबलपुर और उज्जैन में फ्लाईओवर और सडक़ों का निर्माण किया जाएगा। भोपाल में 559 करोड़ रुपए की लागत से 4 सडक़ें और तीन फ्लाईओवर बनाए जाएंगे। इसमें सबसे बड़ा फ्लाईओवर परिहार चौक से रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 1 तक 2.5 किमी लंबा होगा। जिसकी लागत 185 करोड़ रु. होगी। इसी तरह उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ को देखते हुए 647 करोड़ की लागत से 11 सडक़ें बनाई जाएंगी। इसमें 100 करोड़ की लागत से जयसिंहपुरा टू लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण भी शामिल है। जबलपुर में 1113 करोड़ की लागत से दो फ्लाईओवर बनाने का प्रस्ताव है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर केलिए 12 हजार करोड़

मप्र का पूंजीगत व्यय वर्ष 2024-25 में 64 हजार 738 करोड़ अनुमानित है। जबकि 2023-24 में यह 60 हजार 689 करोड़ रुपए था। केंद्र सरकार पूंजीगत व्यय के हिसाब से इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए अतिरिक्त फंड देती है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में मप्र को 6 हजार 187 करोड़ रुपए मिले थे। अब 7 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग की गई है। नए बजट में प्रदेश को लगभग 12 हजार करोड रुपए मिलने की उम्मीद है।

सिंहस्थ के लिए स्पेशल पैकेज

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 दिसंबर 24 को दिल्ली में राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ प्री- बजट बैठक की थी। इस बैठक में मप्र के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने राज्य के विकास और विभिन्न योजनाओं के साथ सिंहस्थ के लिए बजट में राशि का प्रावधान करने की मांग उठाई थी। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार ने पिछले साल केंद्र से इस आयोजन के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज देने की मांग की थी। लेकिन 2024-25 के बजट में राशि का प्रावधान नहीं किया गया था, लेकिन इस साल केंद्र सरकार सिंहस्थ के लिए 3 से 4 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत कर सकती है। हालांकि, 27 मार्च 2028 से 27 मई 2028 तक होने वाले सिंहस्थ महापर्व के लिए मोहन सरकार ने 18 हजार करोड़ रु. के विकास कामों के प्रस्ताव तैयार किए है।  सिंहस्थ से पहले उज्जैन-इंदौर संभाग को धार्मिक-आध्यात्मिक सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा।

किसानों को होगा फायदा

केंद्रीय बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत लोन की सीमा 5 लाख रुपए की जा सकती है। इस समय 3 लाख रु. लोन की लिमिट है। ये काफी पहले बढ़ाई गई थी। सरकार के पास इस सीमा को बढ़ाने की मांग लगातार आ रही है। वहीं प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत फिलहाल किसानों को सालाना 6 हजार दिए जाते हैं। चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने इस राशि को दोगुना यानी 12 हजार रु. करने की सिफारिश की है। मप्र में इस योजना का फायदा करीब 80 लाख किसानों को मिल रहा है। इसके अलावा मप्र सरकार भी सीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत सालाना 6 हजार (3 किस्तों में) रुपए किसानों को दे रही है। यदि केंद्र सरकार अपनी योजना में 6 हजार रुपए का इजाफा करती है तो मप्र के किसानों को सालाना 18 हजार रुपए मिलेंगे।

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