कब है निर्जला एकादशी, क्या हैं इस व्रत के नियम?

कब है निर्जला एकादशी, क्या हैं इस व्रत के नियम?

हिंदू धर्म में वैसे तो सभी एकादशी का व्रत रखना बहुत शुभ माना जाता है. निर्जला एकादशी विशेष करके लाभकारी मानी जाती है. वहीं, पंडित सीता राम ने बताया कि ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है. उनका आशीर्वाद पाने के लिए निर्जला, यानी की बिना पानी पिए व्रत रखना पड़ता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, यदि किसी साधक के साल भर कोई भी व्रत नहीं रखा है. वह निर्जला एकादशी का व्रत रख लेता है. उसे अन्य सभी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है.

इस बार ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी की तिथि 17 जून सोमवार को प्रात: 4 बजकर 43 मिनट पर ही शुरू हो रही है. उस दिन सूर्योदय 5:23 AMपर हो रहा है. वहीं ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का समापन 18 जून मंगलवार को 7:24 AM पर होगा. उस दिन भी सूर्योदय 5:23 AM पर हो रहा है.

निर्जला एकादशी व्रत 17 जून का
भीम अपनी अतृप्त भूख के कारण कभी व्रत नहीं रखते थे. वे एक समय भी बिना खाए नहीं रह सकते थे. वेद व्यास जी ने उनको बताया था कि वर्ष में सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रखने से पुण्य प्राप्त हो होगा. निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है. जीवात्मा को ले जाने के लिए पुष्पक विमान आता है.निर्जला एकादशी व्रत विधिपूर्वक रखने से सभी पाप मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद भगवान विष्णु की कृपा से विष्णु लोक प्राप्त होता है. वह मोक्ष का ​अधिकारी बनता है.
 

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