यूक्रेन की सीमा पर तैनात सैनिक रिकवरी के लिए ले रहे योग का सहारा; भारत को शुक्रिया कह रहे लोग…

यूक्रेन की सीमा पर तैनात सैनिक रिकवरी के लिए ले रहे योग का सहारा; भारत को शुक्रिया कह रहे लोग…

21 जून को पूरी दुनिया ने विश्व योग दिवस मनाया। इस मौके पर पूरी दुनिया में योग के महत्व पर जोर दिया गया।

रूस और यूक्रेन की जंग में सीमा पर तैनात यूक्रेन के सैनिक भी योग का सहारा ले रहे हैं। 2 साल से ज्यादा समय से चल रहे इस युद्ध में सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए योग वरदान साबित हो रहा है।

सैनिकों का कहना है कि इससे उन्हें जल्दी रिकवरी करने में मदद मिलती है। युद्ध-ग्रस्त यूक्रेन में, योग स्वास्थ्य, रिकवरी और उपचार में एक कारगार उपाय के रूप में देखा जा रहा है।

यूक्रेनी योग शिक्षकों की मदद करने के लिए उन्हें ट्रॉमा से निपटने के लिए उपकरण भी दिए जा रहे हैं। इसके लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है।

फाल्कन फोर्स जैसी यूक्रेनी सेना की कुछ विशेष फोर्स भी योग को अपने प्रशिक्षण में शामिल कर रही हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक फियर्स कैलम जैसी चैरिटी सैनिकों के पुनर्वास में योग को शामिल करती है और ट्रॉमा कम करने में भी मदद करती है।

यूक्रेनी सैनिक यूक्रेन युद्ध की सीमा पर अपने योग मैट बिछाते हैं और योग का अभ्यास नियमित रूप से करते है। 225वीं सेपरेट असॉल्ट ब्रिगेड के कमांड पोस्ट पर तैनात 37 वर्षीय कमांडर का कहना है कि योग ने उनके जीवन को बदल दिया है।

उन्होंने कहा, “युद्ध की शुरुआत से पहले, 2014 में, मुझे सेना के अभियानों में शामिल किया गया था और मेरी रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई थी। मैंने 2016 में नियमित रूप से योग का अभ्यास करना शुरू किया। युवा कमांडर कहते हैं, “मेरी सभी समस्याएं गायब हो गईं हैं।” योग अब युद्ध में उनकी जिम्मेदारियों को पूरा करने में उनकी मदद करता है। “मैं हमेशा आसन और प्राणायाम करने की कोशिश करता हूँ, और हरे कृष्ण महामंत्र पढ़ता हूँ। इससे मुझे अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है।” 

‘हेल्दी यूक्रेन’ कार्यक्रम क्या है?

2021 में यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने योग को बढ़ावा देने के लिए ‘हेल्दी यूक्रेन’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। कार्यक्रम के तहत सार्वजनिक पार्कों को फिटनेस क्लब में बदल दिया गया।

इसमें ट्रेनर्स निःशुल्क कक्षाएं आयोजित करते हैं। परियोजना में योग को बढ़ावा देने के लिए एलेना साइडर्सका को जिम्मेदारी दी गई है।

वह कहती हैं, “योग के लिए जबरदस्त प्रतिक्रिया थी।” यूक्रेन में योग के जाने माने हस्ती साइडर्सका के पिता एंड्री साइडर्सकाई कहते हैं कि उनके देश में भारतीय योग की जड़ें बहुत पुरानी हैं। “वास्तव में, यूक्रेन में लोग 19वीं सदी में ही योग के संपर्क में आ गए थे।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कीव, ओडेसा और खार्किव सोवियत काल में योग के कुछ मुख्य केंद्र बन गए,” आज योग दुनिया भर में फैल चुका है और वापस यूक्रेन में भी आ गया है।

यूलिया डेनिसोवा चैरिटी फियर्स कैलम के साथ काम करती हैं। वह चार पुनर्वास केंद्रों में घायल यूक्रेनी सैनिकों की मदद के लिए योग का उपयोग कर रही हैं।

डेनिसोवा कहती हैं  “योग निद्रा और प्राणायाम ने नींद की बीमारी, PTSD से संबंधित चुनौतियों से जूझ रहे सैनिकों को बहुत मदद पहुंचाई है।” 

यूक्रेन में योग को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम चला रही वेलेरिया सम्बोर्स्काया भी इस बात से सहमत हैं।

वह कहती है, “हमने देखा है कि प्रभावित सैनिक पार्कों के पास जाने से डरते हैं क्योंकि वे फ्रंटलाइन पर वन क्षेत्रों में घायल हो गए थे। लेकिन योग के कुछ सत्रों, विशेष रूप से प्राणायाम के बाद, वे अपने मानसिक ट्रॉमा से उबरने में सक्षम हैं। डेनिसोवा आगे कहती हैं, “मैं एक यूक्रेनी के रूप में दुनिया को यह अद्भुत प्राचीन ज्ञान देने के लिए भारत का पर्याप्त धन्यवाद नहीं कर सकती।”

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